मानव अधिकार नारा नहीं संस्कार बने
मनुष्य के रूप में जन्म लेते ही हम सभी सार्वभौमिक मानव अधिकारों के स्वतः अधिकारी हो जाते हैं। यह एक ऐसा अधिकार हे जो जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त सम्मानजनक तरीके से सभी को मिलना चाहिये। यह बात राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर भौंरी स्थित मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी में आयोजित मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा सायबर सुरक्षा एवं मानव अधिकार विषय पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में कहीं। प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमारे यहां निष्पक्ष न्यायपालिका, सक्रिय मीडिया ओर जागरूक समाज है,े फिर भी मानव अधिकार आयोग की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि कई बार व्यक्ति समझाने और मनाने से भी नहीं मानता और जीवन की छोटी-छोटी बातें जो विवाद बन जाती हैं, मानव अधिकार आयोग उनका सख्ती और समझाईश से रास्ता निकालता है। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मानव अधिकार को देश की संस्कृति का हिस्सा कहा है और हम अपनी संस्कृति और परम्परा से जुडे़ रहेंगे, तो मानव अधिकारों की रक्षा अपने आप होगी। अतः आज जीवन में कानून एक जीवन मंत्र की तरह रहना चाहिये। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षु पुलिस अधिकारियों से कहा कि आपको 18-18 घंटे काम करना है इसलिए स्वस्थ और चिंतामुक्त होकर काम करें, परन्तु कभी भी दबाव में आकर गलत काम मत करें। आज के समय मोबाईल, कम्प्यूटर, इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्स ऐप्प जितने तकनीकी साधन बढ़े हैं, उतने ही अपराध भी बढ़ रहे हैं। अतः इन अपराधों को रोकना, लोगों को समझाना और जागरूक करना आपकी जिम्मेदारी है और यह सब करते हुए कभी भी भले और ईमानदार व्यक्ति के साथ अन्याय न हो, इसका ध्यान भी आपको रखना है। कार्यशाला में मध्यप्रदेश एवं सिक्किम राज्य मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने अध्यक्षयीय उद्बोधन देते हुए मानव अधिकार आयोग की जरूरतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ’’हम सब बराबर, बराबर हमारे अधिकार’’ अर्थात मानव अधिकार की अवधारणा वैदिक काल से ही रही है और पहले इन्हें प्राकृतिक अधिकार कहा जाता था। उन्होंने बताया कि द्विवतीय विश्वयुद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर 25 जून 1945 को इस दिशा में काम शुरू हुआ और 10 दिसम्बर 1948 में इसका लिखित दस्तावेज तैयार हुआ, जिसमें भारत सहित लगभग 117 देशों ने इसके क्रियान्वयन के लिए सहमति दी। इसी वजह से प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अर्न्तराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है। भारत में वर्ष 1986 में मानव अधिकार आयोग बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई और 12 अक्टूबर, 1993 को भारतीय संसद ने इसे पारित किया। मध्यप्रदेश में 13 दिसम्बर, 1995 को मध्यप्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग की स्थापना हुई। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वतंत्रता, समानता और सम्मान के साथ जीने का हक प्रत्येक व्यक्ति को मिलने के बावजूद महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के हनन पर मानव अधिकार आयोग संज्ञान लेता है और उन्हें न्याय दिलाने का काम करता है। इस अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदया, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन, आयोग के सदस्यद्वय श्री मनोहर ममतानी एवं श्री सरबजीत सिंह तथा मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी के निदेशक श्री सुशोभन बैनर्जी ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यशाला का शुभांरभ किया। स्वागत वक्तव्य में श्री सरबजीत सिंह ने कहा कि हमारे मौलिक अधिकार ही मानव अधिकार हैं, यह एक विस्तृत विषय है। मानव अधिकारों की रक्षा हम सबका दायित्व है। कार्यशाला में मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष द्वारा राज्यपाल महोदया को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। प्रथम सत्र में आयोग के सदस्य श्री मनोहर ममतानी ने विधि का शासन और लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के ध्येय वाक्य पर प्रकाश डालते हुए कार्यशाला में पधारे सभी गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार ज्ञापित किया। कार्यशाला के दूसरे सत्र में एनएलआईयू भोपाल के राजीव गांधी सायबर लॉ सेन्टर के विभागाध्यक्ष डॉ0 अतुल पांडेय एवं मध्यप्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी श्री यशपाल सिंह ने विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षणार्थियों को सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम एवं अन्य अधिनियमों की जानकारी देकर सायबर सुरक्षा की तकनीकी बारीकियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों के प्रश्नों व जिज्ञासाओं का समाधान भी किया । कार्यशाला के दूसरे सत्र के अन्त में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के सचिव श्री संजीव कुमार झा ने मुख्य अतिथि, गणमान्य अतिथियों, विशेषज्ञ वक्ताओं, प्रतिभागियों एवं कार्यशाला को सफल बनाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले मानव अधिकार आयोग एवं पुलिस अकादमी भौंरी के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का आभार माना। कार्यशाला में मानव अधिकार आयोग में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुषमा सिंह, रजिस्ट्रार लॉ श्री जे0पी0राव, उप सचिव श्री एस0एस0 चौहान, पुलिस अधीक्षक श्री सीताराम ससत्या सहित पुलिस अकादमी के सभी अधिकारी विशेष रूप से मौजूद थे। कार्यक्रम का सफल संचालन उद्घोषिका श्रीमती सुनीता सिंह ने किया।